अम्बिकापुर : लम्पी स्किन रोग से मवेशियों को बचाने और उपचार के लिए पशुपालन विभाग द्वारा युद्धस्तर पर कार्यवाही जारी, लगभग 650 से ज्यादा मवेशी उपचार के बाद पूरी तरह स्वस्थ - jantakipukarnews.in

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अगस्त 25, 2023

अम्बिकापुर : लम्पी स्किन रोग से मवेशियों को बचाने और उपचार के लिए पशुपालन विभाग द्वारा युद्धस्तर पर कार्यवाही जारी, लगभग 650 से ज्यादा मवेशी उपचार के बाद पूरी तरह स्वस्थ

 


 सरगुजा संभाग (अंबिकापुर)-जिले में लम्पी स्कीन रोग से पशुओं के बचाव और उनके उचित उपचार के लिए पशुपालन विभाग द्वारा युद्धस्तर पर प्रयास जारी है। कलेक्टर श्री कुन्दन कुमार के विशेष संज्ञान पर इस रोग से मवेशियों के बचाव और उपचार के लिए विभाग द्वारा निरंतर कार्यवाही की जा रही है। इसी क्रम में घुमन्तु पशुओं के उपचार हेतु बनाए गए अस्थायी सेंटरों में टीकाकरण तथा उपचार कार्य किया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक लंपी स्किन रोग के लगभग 929 मवेशियों का चिन्हांकन किया गया है जिसमें से 648 से ज्यादा मवेशी पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। इनमें से 253 से ज्यादा मवेशियों का उपचार जारी है। इसके साथ मवेशियों को दुर्घटना से बचाने भी निरंतर रेडियम बेल्ट पहनाने और टैगिंग की कार्यवाही की जा रही है।कलेक्टर द्वारा रोग की रोकथाम के लिए पंचायत और पशुपालन विभाग को आपसी समन्वय करते हुए कार्ययोजना पर अमल करने निर्देशित किया गया है।

पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक ने बताया है कि सरगुजा जिले में 744 पशुओं पर रेडियम बेल्ट एवं 454 पशुओं पर टैगिंग किया जा चुका है।


लंपी स्किन रोग के लगभग 929 मवेशियों का चिन्हांकन किया गया है जिसमें से 648 से ज्यादा मवेशी पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। इनमें से 253 से ज्यादा मवेशियों का उपचार जारी है। लम्पी स्कीन डिसीज से मवेशियों को बचाने भी निरंतर कार्यवाही चल रही है। एक विषाणु (वायरल) जनित रोग है। जो मुख्यतः मच्छर मक्खी के काटने एवं दूसरे पशु के सम्पर्क में आने से फैलता है। लम्पी स्कीन रोग से रोकथाम एवं बचाव के उपाय टीकाकरण ही एकमात्र बचाव का तरीका है। इस रोग हेतु गोट पॉक्स टीका लगाया जाता है।


मवेशियों को रोग से बचाने पशुपालकों से अपील- नये जानवरों को अलग रखें और इस रोग से संक्रमित पशु को अलग रख के उसका उपचार करना चाहिए। उचित कीटनाशक का उपयोग कर मच्छर मक्खियों तथा अन्य बाह्य परजीवियों का नियंत्रण करना चाहिए। संक्रमित घुमंतु पशुओं को अस्थाई शेड में रखा गया है एवं शेष पशुओं को पशुपालकों के घर पर ही आइसोलेट कर उपचार किया जा रहा है।

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