संवाददाता - कमल कांत चौहान
राजकोट- राजकोट की सुबह आज पहले के मुकाबले कुछ ज्यादा ही चमकीली थी। तीसरा टेस्ट शुरू होने में कुछ ही घंटे का वक्त बचा था। इंग्लैंड के खिलाफ दो-दो भारतीय प्लेयर्स अपना टेस्ट डेब्यू कर रहे थे। पहले सरफराज खान और दूसरे ध्रुव जुरेल। पूर्व महान भारतीय कप्तान अनिल कुंबले सरफराज खान को उनकी डेब्यू टेस्ट कैप पहनाते हैं। उधर बाउंड्री के बाहर एक शख्स नम आंखों से चुपचाप सबकुछ देख रहा था। उधर बेटे का टेस्ट डेब्यू हो रहा था तो इधर एक पिता खुली आंखों से अपना सपना जी रहा था। नौशाद खान ने अपनी पूरी जिंदगी दोनों बेटों को भारतीय टीम के लिए तैयार करने में खपा दी। टेस्ट कैप लेने के बाद सरफराज खान की नजर जैसे ही अपने परिवार पर पड़ी, वह दौड़ते हुए अपने कोच, अपने पिता और अपने 'भगवान' के सीने से जा लगे। उन्हें बेतहाशा चूमने लगे। ये एक भावुक लम्हा था। बगल में खड़ी उनकी बीवी की आंखों से भी झर-झर आंसू बह रहे थे। सरफराज ने फौरन अपनी इंडियन कैप उतारी, अब्बू नौशाद के हाथों में थमाई। नौशाद खान ने उसे चूमा, उनका भी तो सपना कभी भारतीय टीम से खेलने का था। वो नहीं खेल सके तो क्या हुआ, बेटा आज उनके हिस्से की जवानी जी रहा था। टीम मेट्स, सपोर्ट स्टाफ, ग्राउंड स्टाफ, कैमरामैन वहां खड़ा हर संजीदा शख्स बाप-बेटे के बीच जारी इस निस्वार्थ प्रेम को देख अपनी आंखें नम होने से रोक नहीं पाया होगा।"