मृत्युभोज बंद करना सही या गलत, क्या कहते हैं संत, शास्त्र - jantakipukarnews.in

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अगस्त 30, 2024

मृत्युभोज बंद करना सही या गलत, क्या कहते हैं संत, शास्त्र



कमल कांत चौहान 

उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के एक गांव रेवन ने बड़ी पहल की है.इस गांव के लोगों ने पंचायत कर इस बात फैसला लिया है कि अब गांव में कोई तेरहवीं या मृत्युभोज का आयोजन नहीं किया जाएगा.यह भी फैसला लिया गया है कि अगर किसी परिजन की मृत्यु पर उसका परिवार कुछ करना चाहता है तो वे मृत्युभोज की जगह गरीबों को दान कर सकते हैं या सार्वजनिक हित का कोई काम कर सकते हैं.रेवन के इस पहल की प्रशंसा हो रही है.लेकिन रेवन ऐसा पहला गांव नहीं है, जिसने इस तरह की पहल की है. इससे पहले भी इस तरह की पहल कई गांव और जातीय समाज कर चुके हैं. झांसी के उल्दन गांव के अहिरवार समाज ने फैसला किया था कि मृत्युभोज करने वाले परिवार का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा.वहीं राजस्थान ने मृत्युभोज के आयोजन को अपराध बना दिया गया है.लेकिन शास्त्र मृत्युभोज को उचित मानते हैं. 


कितने होते हैं हिंदू धर्म में संस्कार


हिंदू धर्म में इंसान के पैदा होने से लेकर मरने तक 16 संस्कार होते हैं. उम्मीद की जाती है कि हर हिंदू इन संस्कारों का पालन करेगा. हिंदू धर्म के ये 16 संस्कार हैं, गर्भाधान संस्कार, पुंसवन संस्कार, सीमंतोनयन संस्कार, जातकर्म संस्कार, नामकरण संस्कार, निष्क्रमण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, मुंडन संस्कार, कर्णवेधन संस्कार, उपनयन संस्कार, विद्यारंभ संस्कार, केशांत संस्कार, समावर्तन संस्कार, विवाह संस्कार, विवाह अग्नि संस्कार और अंत्येष्टि संस्कार. लेकिन समय के साथ-साथ इसको बरतने में बदलाव भी आया है. समय के साथ-साथ इसमें लोगों की आर्थिक क्षमता भी आड़े आती है. ऐसे में बहुत से लोग इनमें से केवल कुछ संस्कार को ही मानते हैं और उसे संपन्न कराते हैं.

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